देश में कर्इ राज्यो में गोमांस पर पाबंदी के बाद अब चमड़ा उत्पादन घटने की आशंका के मददेनजर वैज्ञानिकों ने मुर्गे, मुर्गियों की टांगों की मदद से फैब्रिक के उत्पादन का एक नायाब तरीका ढूंढ लिया है। इस तरह के फैब्रिक भी अब तक इस्तेमाल किए जा रहे छोटे घड़ियाल से बनने वाले फैब्रिक की तरह होंगे।
सीएलआरआई केंद्रीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक संस्थान के तहत काम करने वाली प्रयोगशाला है जो मुर्गें मुर्गियों के टांगों से चमड़ा बनाने की नर्इ प्रौद्योगिकी लेकर आर्इ है. यह छोटे घड़ियाल के फैब्रिक की तरह की क्वालिटी वाला होगा.
वहीं कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि गायों के काटने पर पाबंदी का चमड़ा उत्पादन पर शायद ही कोई असर हो क्योंकि भेड़, बकरे,बकरियों और भैंस चमड़ा उत्पादन के दूसरे स्त्रोत है. फिलहाल भेड बकरियो की संख्या भी देश में मांस उत्पादन के लिए कम नही है.