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गर्मी में पहने चश्मा और बने कूलगर्मी में पहने चश्मा और बने कूल

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वैसे तो लोग कई सालों से चश्मा लगाते आ रहे हैं. लेकिन पहले और अब में फर्क यह हैं कि पहले ज्यादातर लोग चश्में का उपयोग पढ़ने के लिए ज्यादा और फैशन सिंबल के रूप में कम करते थे. लेकिन वर्तमान समय की बात करे तो यह समीकरण पूरा उलट दिखाई देता हैं. आज कल चश्मा एक फैशन सिंबल बन चूका हैं. चाहे धुप हो या नहीं. चाहे आपकी आखों को इसकी जरूरत हो या नहीं लोग खुद को कूल दिखाने के लिए चश्मे पहनने से बाज नहीं आते.

वैसे देखा जाए तो यह एक तरह से अच्छी बात भी हैं. चश्मा कूल दिखने के साथ साथ अपना बेसिक काम, आखों की सुरक्षा करना तो कर ही रहा हैं. आज कल के प्रदूषण से भरे वातावरण में हमे चश्मे की जरूरत ज्यादा हैं. ताकि हमारी आखें ज्यादा समय तक स्वस्थ बानी रहे. आज कल बाजार में कई तरह के चश्मे उपलब्ध हैं. मेटल फ्रेम, प्लास्टिक फ्रेम, स्पेशल लाइट वेट फ्रेम, स्क्रेच रहित फाइबर ग्लास वगेरह वगेरह.

इतनी अधिक वेराइटी होने के कारण चश्मो की कीमत 70 रूपए से शुरू होकर 40 हजार रुपयों तक चली जाती हैं. यदि आप अफोर्ड कर सकते हैं तो हमेशा ब्रांडेड चश्मे ही ख़रीदे. ब्रांडेड चश्मे की कीमत एक हजार से शुरू होती हैं. आजकल बाजार में तरह−तरह की लेंस के चश्मे मिलते हैं जो आंखों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं. इसलिए हम आपको सलाह देंगे कि इन्हें खरीदने से पहले यह पता कर लें कि ये यूवीए और 'यूवीए रेडियशन' से बचा सकते हैं या नहीं. अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाव के लिए केवल कुछ ख़ास रंग के चश्मे ही कारगर साबित होते हैं जैसे एंबर और आरेंज कलर. यदि आप रंगीन चश्मे का चुनाव कर रहे हो तो याद रहे ज्यादा गहरे रंग के चश्मे ना ख़रीदे.


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